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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

समाचार फ्लैश

अनुभाग: I (निवेशकों के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

स्कोर एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है जिसे निवेशकों को सूचीबद्ध कंपनियों और सेबी पंजीकृत मध्यस्थों के खिलाफ सेबी के साथ प्रतिभूति बाजार से संबंधित अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सूचीबद्ध कंपनियों और सेबी पंजीकृत मध्यस्थों के खिलाफ सेबी द्वारा प्राप्त सभी शिकायतों को स्कोर्स के माध्यम से निपटाया जाता है।
उन मामलों से संबंधित शिकायतें, जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (सेबी एक्ट, 1992); प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956; निक्षेपागार अधिनियम, 1996 और उनके तहत बनाए गए नियमों एवं विनियमों तथा कंपनी अधिनियम, 2013 के संबंधित प्रावधानों के दायरे में आती हैं
  1. क. जो शिकायतें प्रतिभूति बाजार (सिक्यूरिटीज़ मार्केट) में निवेश से संबंधित न हों
  2. ख. जिन शिकायतों पर शिकायतकर्ता का नाम न हो (पर्दाफाश करने वाले व्यक्ति द्वारा की गई शिकायतों को छोड़कर)
  3. ग. जो शिकायतें अधूरी हों या जिनमें स्पष्टता न हो
  4. घ. जिनमें ऐसे आरोप लगाए गए हों, जिन्हें साबित करने के लिए कोई दस्तावेज न लगाया गया हो
  5. ङ. जिनमें सुझाव दिया गया हो या मार्गदर्शन / स्पष्टीकरण मांगा गया हो
  6. च. कंपनियों के शेयर जिस कीमत पर ट्रेड हो रहे हों उससे संतुष्ट न होना
  7. छ. जो प्राइवेट प्लेसमेंट लाकर जारी किए गए शेयरों को सूचीबद्ध (लिस्ट) न किए जाने से संबंधित हों
  8. ज. जो कंपनियों / मध्यवर्तियों (इंटरमीडियरी) के साथ निजी तौर पर किए गए करार को लेकर उठने वाले विवाद से संबंधित हों
  9. झ. जो नकली दस्तावेजों से संबंधित हों
  10. ञ. जो सेबी के दायरे में न आती हों
  11. ट. ऐसी किसी गतिविधि के खिलाफ शिकायत जिसके लिए रजिस्ट्रेशन न लिया गया हो या जो विनियमित न हो
निम्नलिखित कंपनियों के खिलाफ की गई शिकायतों पर स्कोर्स पर कार्रवाई नहीं की जाती है, फिर चाहे वे शिकायतें किसी सूचीबद्ध (लिस्टिड) कंपनी के खिलाफ हों या सेबी से रजिस्टर मध्यवर्ती (इंटरमीडियरी) के खिलाफ :-
  1. क. उन कंपनियों के खिलाफ की गई शिकायतें जो असूचीगत (अनलिस्टिड) / असूचीबद्ध (डीलिस्टिड) हों या जो स्टॉक एक्सचेंज के डिस्सेमिनेशन बोर्ड पर चली गई हों ।
  2. ख. रुग्ण कंपनी के खिलाफ की गई शिकायतें या ऐसी कंपनी के खिलाफ की गई शिकायतें, जिसके संबंध में परिसमापन (वाइंड-अप) की प्रक्रिया के दौरान या दिवालिया घोषित किए जाने की प्रक्रिया के दौरान या उसके लिक्विडेशन की प्रक्रिया के दौरान अधिस्थगन आदेश (मोरेटोरियम ऑर्डर) पारित किया गया है ।
  3. ग. ऐसी कंपनियों के खिलाफ शिकायतें जिनके नाम कंपनी रजिस्ट्रार के रजिस्टर से काट दिए गए हों या जो कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा प्रकाशित की गई सूची के अनुसार गायब कंपनी हों ।
  4. घ. ऐसी शिकायतें जिनके संबंध में न्यायिक प्रक्रिया चल रही हो, अर्थात् ऐसे मामले जिनके संबंध में न्यायालय में सुनवाई आदि चल रही हो, अर्ध-न्यायिक कार्यवाही आदि चल रही हो ।
  5. ङ. कंपनियों के खिलाफ ऐसी शिकायतें, जो किसी दूसरे विनियामक निकायों जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग, आदि के दायरे में आती हों या फिर किसी अन्य मंत्रालयों जैसे कि कारपोरेट कार्य मंत्रालय, आदि के दायरे में आती हों ।
  6. च. कंपनी अधिनिम, 2013 की धारा 125 के अनुसार, लाभांश (डिविडेंड) की जिस रकम के लिए कोई दावा न किया गया हो, जिन शेयरों के संबंध में लाभांश अदा न किया गया हो या लाभांश की रकम के लिए दावा न किया गया हो, जिन डिबेंचरों की अवधि पूरी हो गई हो, फ्रेक्शनल शेयरों की बिक्री से मिलने वाली रकम, प्रेफरेंश शेयरों की बिक्री से प्राप्त जो रकम सात वर्षों से अदा न की गई हो या जिस पर सात वर्षों से कोई दावा न किया गया हो, उसे कारपोरेट कार्य मंत्रालय के दायरे में आने वाली निवेशक शिक्षण और संरक्षण निधि (आईईपीएफ) में जमा (ट्रांसफर) करा दिया जाता है । निवेशक इस रकम के संबंध में दावे सीधे आईईपीएफ प्राधिकरण के यहाँ प्रस्तुत कर सकते हैं, क्योंकि यह सेबी के दायरे में नहीं आता है ।
    इसलिए, शेयरों के दावों को लेकर की गई शिकायतें; लाभांश की जिस रकम के संबंध में कोई दावा न किया गया हो उससे संबंधित शिकायतें; बोनस शेयर जारी करने, विलय (मर्जर) और समामेलन (अमैलगमेशन) के कारण मिले फ्रेक्शनल शेयरों की बिक्री से मिलने वाली रकम से संबंधित शिकायतें; प्रेफरेंश शेयरों की बिक्री से मिलने वाली जो रकम अदा न की गई हो या जिस पर कोई दावा न किया गया हो उससे संबंधित शिकायतें, आदि जो आईपीईएफ में भिजवा (ट्रांसफर करा) दी गई हैं, उन शिकायतों के संबंध में स्कोर्स पर कार्रवाई नहीं की जाती है ।
    जिन शिकायतों के संबंध में सेबी द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती उनमें से कुछ के विनियामकों / प्राधिकरणों का जिक्र नीचे किया गया है:
नीचे जिन कंपनियों का जिक्र किया गया है, उनके खिलाफ दर्ज की गई शिकायतों पर स्कोर्स पर कार्रवाई नहीं की जाती, फिर चाहे वे शिकायतें सूचीबद्ध एंटिटी / सेबी से रजिस्टर मध्यवर्ती (इंटरमीडियरी) के खिलाफ ही क्यों न दर्ज की गई हों :- क. उन कंपनियों के खिलाफ की गई शिकायतें जो असूचीगत (अनलिस्टिड) / असूचीबद्ध (डीलिस्टिड) हों या जो स्टॉक एक्सचेंज के डिस्सेमिनेशन बोर्ड पर चली गई हों । ख. रुग्ण कंपनी के खिलाफ की गई शिकायतें या ऐसी कंपनी के खिलाफ की गई शिकायतें, जिसके संबंध में परिसमापन (वाइंड-अप) की प्रक्रिया के दौरान या दिवालिया घोषित किए जाने की प्रक्रिया के दौरान या उसके लिक्विडेशन की प्रक्रिया के दौरान अधिस्थगन आदेश (मोरेटोरियम ऑर्डर) पारित किया गया है । ग. ऐसी कंपनियों के खिलाफ शिकायतें जिनके नाम कंपनी रजिस्ट्रार के रजिस्टर से काट दिए गए हों या जो कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा प्रकाशित की गई सूची के अनुसार गायब कंपनी हों । घ. उन कंपनियों के खिलाफ की गई ऐसी शिकायतें जिनके संबंध में न्यायिक प्रक्रिया चल रही हो, अर्थात् ऐसे मामले जिनके संबंध में न्यायालय में सुनवाई आदि चल रही हो, अर्ध-न्यायिक कार्यवाही आदि चल रही हो । ङ. उन कंपनियों के खिलाफ ऐसी शिकायतें, जो किसी दूसरे विनियामक निकायों जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग, आदि के दायरे में आती हों या फिर किसी अन्य मंत्रालयों जैसे कि कारपोरेट कार्य मंत्रालय, आदि के दायरे में आती हों । च. कंपनी अधिनिम, 2013 की धारा 125 के अनुसार, लाभांश (डिविडेंड) की जिस रकम के लिए कोई दावा न किया गया हो, जिन शेयरों के संबंध में लाभांश अदा न किया गया हो या लाभांश की रकम के लिए दावा न किया गया हो, जिन डिबेंचरों की अवधि पूरी हो गई हो, फ्रेक्शनल शेयरों की बिक्री से मिलने वाली रकम, प्रेफरेंश शेयरों की बिक्री से प्राप्त जो रकम सात वर्षों से कोई दावा न किया गया हो
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खंड : II (निवेशकों के लिए एफएक्यू)
एंटिटी का डाटा